Dard shayari

वफ़ा के शीश महल में सजा लिया मैनें ,

वो एक दिल जिसे पत्थर बना लिया मैनें,

ये सोच कर कि न हो ताक में ख़ुशी कोई ,

ग़मों कि ओट में ख़ुद को छुपा लिया मैनें,

कभी न ख़त्म किया मैं ने रोशनी का मुहाज़ ,

अगर चिराग़ बुझा, दिल जला लिया मैनें,

कमाल ये है कि जो दुश्मन पे चलाना था ,

वो तीर अपने कलेजे पे खा लिया मैनें |








टूटे हुए प्याले में जाम नहीं आता

इश्क़ में मरीज को आराम नहीं आता

ये बेवफा दिल तोड़ने से पहले ये सोच तो लिया होता

के टुटा हुआ दिल किसी के काम नहीं आता ……..



वो बेवफा हमारा इम्तेहा क्या लेगी…

मिलेगी नज़रो से नज़रे तो अपनी नज़रे ज़ुका लेगी…

उसे मेरी कबर पर दीया मत जलाने देना…

वो नादान है यारो… अपना हाथ जला लेगी.


मोहब्बत का नतीजा,

दुनिया में हमने बुरा देखा,

जिन्हे दावा था वफ़ा का,

उन्हें भी हमने बेवफा देखा.



फूल सबनम में डूब जाते है,

झख्म मरहम में डूब जाते है |

जब आते है खत तेरे, हम तेरे गम में डूब जाते है.|



मोहबत को जो निभाते हैं उनको मेरा सलाम है,

और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं उनको, हुमारा ये पेघाम हैं,

“वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद को फ़ना करो,

वरना खुदा के लिए किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो”


वक्त नूर को बेनूर कर देता है,

छोटे से जख्म को नासूर कर देता है,

कौन चाहता है अपने से दूर होना,

लेकिन वक्त सबको मजबूर कर देता है !


जिंदगी हे सफर का सील सिला,

कोइ मिल गया कोइ बिछड़ गया,

जिन्हे माँगा था दिन रत दुआ ओमे,

वो बिना मांगे किसी और को मिल गया.



ना सोचा था जिनके लिए हम मर मिटे,

एक दिन वही हमसे दूर हो जाएँगे,

जीने की तमन्ना तो हम भी रखते थे,

अब तेरे बिना कैसे जी पाएगे…



आँखों मे आ जाते है आँसू,

फिर भी लबो पे हसी रखनी पड़ती है,

ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो,

जिस से करते है उसीसे छुपानी पड़ती है…



रोती हुई आँखो मे इंतेज़ार होता है,

ना चाहते हुए भी प्यार होता है,

क्यू देखते है हम वो सपने,

जिनके टूटने पर भी उनके सच होने

का इंतेज़ार होता है?…..



तेरे साथ कितनी हसीन थी ज़िंदगी

अब तेरे बिना बस सज़ा है ज़िंदगी

तेरे साथ कितने मज़े में थी ज़िंदगी

अब तेरे बिना बड़ी बेमज़ा है ज़िंदगी

कभी तूने ही संवारी थी मेरी ज़िंदगी

फिर क्यों तूने उज़ाड़ दी मेरी ज़िंदगी

मैने हमेशा खुदा देखा तुझमें

क्यों खुदा ने बिगाड़ दी मेरी ज़िंदगी



तेरा दिल उदास क्यों है?

तेरी आँखों में प्यास क्यों है?

जो छोड़ गया तुझे मझदार में ,

उससे मिलने की आस क्यों है ?

जो दे गया दर्द ज़िन्दगी भर का,

वही तेरे लिए ख़ास क्यों है 



दुनिया मे बेवफाओ की कमी नही अब सूरज को देख लो

आता है उशा के साथ

रहता है किरण के साथ

और जाता है संधया के साथ….



आज हम उनको बेवफा बताकर आए है!

उनके खतो को पानी में बहाकर आए है .

कोई निकाल न ले उन्हें पानी से…

इस लिए पानी में भी आग लगा कर आए है !




याद तेरी आती है क्यो.यू तड़पाती है क्यो?

दूर हे जब जाना था.. फिर रूलाती है क्यो?

दर्द हुआ है ऐसे, जले पे नमक जैसे.

खुद को भी जानता नही, तुझे भूलाऊ कैसे?



तुझे चाहा भी तो इजहार न कर सके,

कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके,

तुने माँगा भी तो अपनी जुदाई मांगी,

और हम थे की इंकार न कर सके!

श्रीपूर


जब खुदा ने इश्क बनाया होगा,

तब उसने भी इसे आजमाया होगा..

हमारी औकात ही क्या है,

कमबख्त इश्क ने तो

खुदा को भी रुलाया होगा!

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