Intjaar Shayari



 बहुत हो चुका इंतेज़ार उनका, अब और ज़ख़्म सहे जाते नही, क्या बयान करें उनके सितम को, दर्द उनके कहे जाते नही 



 भले ही राह चलते का दामन थाम ले, मगर मेरे प्यार को भी तू पहचान ले, कितना इंतेज़ार किया है तेरे इश्क़ में, ज़रा यह दिल की बेताबी तू जान ले..     




 ज़िंदगी हसीन है ज़िंदगी से प्यार करो, है रात तो सुबह का इंतज़ार करो, वो पल भी आएगा जिसका इंतज़ार है आप को, रब पर भरोसा और वक़्त पे ऐतबार रखो 




 कौन कहता है इश्क़ मे बस इकरार होता है कौन कहता है इश्क़ मे बस इनकार होता है, तन्हाई को तुम बेबसी का नाम ना दो, क्यूंकी इश्क़ का दूसरा नाम ही इंतेज़ार होता है 




 इस नज़र को तेरा इंतेज़ार रहता है दिल तुमसे मिलने को बेक़रार होता है तुम हमसे मिलो ना मिलो फिर भी इस दिल मैं तेरी दोस्ती का प्यार रहता है       




 अपने जज़्बात दफ़न किए बैठे हैं. दिल के अरमान छुपाए बैठे हैं. थक गये हैं अपनी इस ज़िंदगी से. अब मौत का इंतेज़ार किए बैठे हैं.


 बदलना आता नही हमको मौसमो की तरह, हर एक रूप में तेरा इंतजार करते है, ना तुम समेत सकोगी जिसे क़यामत, कसम तुम्हारी तुम्हे इतना प्यार करते है.




 नज़र चाहती है दीदार करना, दिल चाहता है प्यार करना, क्या बतायें इस दिल का आलम, नसीब में लिखा है इंतेज़ार करना.




 आप का एतिबार कौन करे    रोज़ का इंतिज़ार कौन करे...



 मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूँ मगर सफ़र सफ़र है मेरा इंतिज़ार मत करना...


 जान से भी ज़्यादा उन्हे प्यार किया करते थे, याद उन्हे दिन रत किया करते थे, अब उन राहो से गुज़रा नही जाता, जहा बैठ कर उनका इंतेज़ार किया करते थे.!




 एक शाम आती है तुम्हारी याद लेकर, एक शाम जाती है तुम्हारी याद देकर, पर मुझे तो उस शाम का इंतेज़ार है, जो आए तुम्हे साथ लेकर..!!




 इश्क़ किया तुझसे, मेरे ऐतबार की हद थी, इश्क़ में दे दी जान, मेरे प्यार की हद थी, मरने के बाद भी खुली थी आँखें, यह मेरे इंतेज़ार की हद थी 






 किसी के दीदार को तरसता है किसी के इंतेज़ार मे  तडपता है ये दिल भी अजीब चीज़ है जो होता है खुद का मगर किसी और के लिए धड़कता है .



 अब हमसे इंतेज़ार नही होता   इतना महेंगा तो किसी का प्यार नही होता   हम जिसके लिए हुए रुसवा ज़माने मे   वो अब बात करने को भी तैयार नही होता 





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